आम निवेशकों की गाढ़ी कमाई को सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार तैयारी कर रही है। सहारा जैसे फ्रॉड करने वाली कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी नया कानून चाहते हैं। वित्त मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति के सदस्य निशिकांत दुबे का कहना है कि सरकार का मकसद है कि सहारा जैसी दूसरी निवेश कंपनियां निवेशकों के साथ धोखाधड़ी न कर सकें।
संसद के मॉनसून सत्र मेें इस मामले में नया बिल लाया जा सकता है। अभी एक से ज्यादा राज्यों में क्रेडिट को-ऑपरेटिव समितियां कमजोर कानूनों के दायरे में हैं। मौजूदा कानूनों को अमली जामा पहनाने के लिए महज 10 लोगों का स्टाफ काम करता है।
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि मॉनिटरिंग एजेंसी के पास संसाधनों का अभाव है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर फ्रॉड कंपनियों से फायदा पाने वाले राजनीतिज्ञ भी दबाव बनाते है। भारत के पास पोंजी स्कीम और पिरामिड स्कीम पर लगाम लगाने के लिए एकीकृत व्यवस्था नहीं है। जांच में ये पता चला है कि अब तक भारत में 6 करोड़ से ज्यादा निवेशक 67, 339 करोड़ गंवा चुके हैं।
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