वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश के गांव जयापुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोद लिया था। प्रधानमंत्री ने नाम के लिए गोद नहीं लिया था बल्कि अनेकों सुविधाएं भी दी। पर ग्रामीणों की उदासीनता और बेफिक्री ने उसके अच्छे उपयोग की जगह तहस-नहस कर डाला और अब इस गांव की हालत हृदय विदारक है।
हाल में ही उद्धाटन किए गए नये बस स्टैंड में चमचमाती लोहे की कुर्सियां लगी हैं, इसे गुंडागिरी को रोकने के लिए स्थापित किया गया था पर अब यह जुए और ताश खेलनेवालों का जमघट लगा रहता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्थापित किए गए टॉयलेट को स्टोरेज के लिए उपयोग किया जाता है और इसमें गाय के सूखे गोबड़ और आग जलाने के लिए लकड़ियों को जमा किया जाता है। इसके दरवाजे भी टूट गए हैं। गांव को रोशनी मुहैया कराने वाले सोलर लैंप की बैटरियां और 65 परिवारों को पानी देने वाले मोटर की चोरी हो गयी हैं। जयापुर गांव के ग्रामीण फुरसत के पलों में नये बस स्टैंड पर आराम करते हैं साथ ही यह जुआरियों का अड्डा बन गया है।
प्रधानमंत्री ने अपने वाराणसी विधानसभा क्षेत्र से 30 किमी दूर स्थित 3,025 निवासियों वाले इस गांव को आदर्श ग्राम बनाने के लिए गोद लिया था। अब करीब दो वर्ष बीत जाने के बाद यह गांव जनता की उदासीनता और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण और बदतर हो गया है।
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