जलियांवाला बाग: शहीदों का आंगन बेहाल, डायर के घर का खयाल |
13 अप्रैल, 1919 में बैसाखी के दिन हुए जलियांवाला बाग कांड को 97 साल हो गए, लेकिन अफसोस हजारों शहीदों के खून से लाल शहीदी स्थल आज भी विकास को तरस रहा है। शहीदी स्थल में गोलियों के निशान वाली इमारतें जर्जर हो चुकी हैं और कभी भी जमींदोज हो सकती हैं। इन्हें संवारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसके विपरीत नरसंहार को अंजाम देने वाले अंग्रेज अफसर जनरल डायर का किला गोबिंदगढ़ स्थित बंगला संवारा जा चुका है।
राष्ट्रीय स्मारक जलियांवाला बाग उपेक्षा का शिकार हो रहा है। जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की इमारत में एक सरकारी बैंक किराये पर चल रहा है। इसके अलावा ट्रस्ट ने करीब 20 लाख रुपये राशि फिक्स डिपाजिट (एफडी) करवा रखी है। इससे सालाना पांच से छह लाख की आमदनी हो जाती है। इससे ही स्मारक का रखरखाव हो रहा है।
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