मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

महाराष्ट्र: उदाहरण बना यह गांव, हर साल तय होता है 'पानी का बजट'

महाराष्ट्र: उदाहरण बना यह गांव, हर साल तय होता है 'पानी का बजट'
महाराष्ट्र: उदाहरण बना यह गांव, हर साल तय होता है 'पानी का बजट'
महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित हिस्से में गहराते जलसंकट से पूरा देश वाकिफ है। यहां का का एक जिला है लातूर जहां 25 लाख लीटर पानी को ट्रेन के जरिए पहुंचाया गया वहीं अहमदनगर का एक गांव है जहां पिछले 21 सालों से अब तक एक भी वाटर टैंक की जरूरत नहीं पड़ी। इसका श्रेय जाता है यहां के ग्रामीणों को। इन्होंने अपने सूझ-बूझ से पानी का बजट बनाया है और इस बहुमूल्य धन का इस्तेमाल काफी सोच-समझ कर करते हैं।
अहमदनगर के अन्य गावों में 400 फीट की गहराई तक बोरवेल खोदे जा रहे हैं, वहीं हिवारे बाजार में भूमिगत पानी इतना अच्छा है कि 20 से 40 फीट की गहराई पर ही अपनी मौजूदगी बता देता है। हालांकि गांव में अधिक पानी लगने वाले खेती जैसे गन्ने या केले की खेती प्रतिबंधित है पर यहां के किसान अन्य क्षेत्रों के किसानों की तुलना में काफी धनी है। रिकार्ड के लिए यहां गरीबी रेखा से नीचे कोई परिवार नहीं है।

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