राजग के दो सालः अधिकतर पैमानों पर सही पटरी पर मोदी सरकार- सर्वे |
सोलह मई 2014 को देश के लोकतांत्रिक इतिहास में उस समय एक बड़ी राजनीतिक घटना तब घटी थी जब लगभग तीन दशक बाद कोई राजनीतिक दल बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर केंद्र की सत्ता में आया था। जाहिर सी बात है ऐसा तभी होता है जब जनता बहुत अधिक हताश हो और लंबे अरसे बाद जनता के मन में कोई उम्मीद की किरण दिखाई दे। शायद भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र दामोदरदास मोदी के रूप में जनता को हताशा से निकालकर विकास के रास्ते पर ले जाने वाले नायक का चेहरा नजर आ रहा था।
जनआकांक्षाएं अपने चरम पर थीं और उनका प्रस्फुटन भी वोट के माध्यम से जबर्दस्त हुआ। जनता बड़ा बदलाव देखना चाहती थी। 26 मई को नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्र्रहण के बाद जब कामकाज संभाला तो उन्होंने जनआकांक्षाओं को भांपते हुए यह संकेत पहले ही दिन दे दिया था कि उन्हें कुछ वक्त तो सिस्टम की साफ-सफाई में लगेगा ही। लेकिन जब अब दो साल हो गये हैैं तो लाजिमी है कि जनता सवाल भी पूछेगी और उनकी सरकार के कामकाज का आकलन भी होगा।
'दैनिक जागरण' ने पांच दिनों तक सरकार के प्रमुख लक्ष्यों को केंद्र में रखकर 'बदलाव के 2 साल' शीर्षक से विस्तृत आकलन पेश किया। लेकिन कोई भी आकलन तब तक पूरा नहीं होता जब तक जनता की उसमें सीधी और खुली भागीदारी न हो। इस भागीदारी से ही जनता यह बताती है कि किस-किस क्षेत्र में उसकी कितनी आकांक्षाएं पूरी हुईं और किस सेक्टर में अभी कितने कदम चलना बाकी है।
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